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शब्दयोग सत्संग
१७ अप्रैल २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
अष्टावक्र गीता, अध्याय १८ से
स्वातंत्र्यात्सुखमाप्नोति स्वातंत्र्याल्लभते परं ।
स्वातंत्र्यान्निर्वृतिं गच्छेत्स्वातंत्र्यात् परमं पदम् ॥५०॥
स्वतन्त्रता से ही सुख की प्राप्ति होती है। स्वतन्त्रता से ही परम तत्व की उपलब्धि होती है। स्वतन्त्रता से ही परम शान्ति की प्राप्ति होती है। स्वतन्त्रता से ही परम पद मिलता है।
प्रसंग:
स्वतन्त्रता का सही अर्थ क्या है?
स्वतन्त्रता कैसे पाए?
क्या स्वतन्त्रता से ही सुख की प्राप्ति होती है?
स्वतन्त्रता से ही परम तत्व की उपलब्धि होती है अष्टावक्र किस स्वतन्त्रता की बात कर रहें है?